HDFC की नई FD स्कीम का सच: 2 लाख लगाओ और हर महीने 7,818 ब्याज?

कहानी शुरू होती है एक दमदार व्हाट्सएप फॉरवर्ड से. मैसेज आया कि HDFC की “नई FD स्कीम” में अगर आप Rupees 2 लाख जमा करेंगे तो हर महीने Rupees 7,818 ब्याज मिलेगा. वाह क्या बात है, राखी पर सलमान की एंट्री जैसा ट्विस्ट. मगर रुको जरा, सब्र करो. पैसा लगे तो दिमाग भी लगाओ. मैंने बैठकर कैलकुलेटर उठाया, चाय की चुस्की ली और पूरी पड़ताल कर डाली. नतीजा ऐसा निकला कि आप भी कहेंगे, अरे ये तो नंबर ही नहीं मिल रहे.

पहला तोहफा: नंबरों से दोस्ती करो, तभी पैसा दोस्त बनेगा

चलो बेसिक गणित. Rupees 2,00,000 पर अगर हर महीने Rupees 7,818 ब्याज आए, तो साल भर में हो गया करीब Rupees 93,816. इसे सालाना रिटर्न मानें तो ये लगभग 46 से 47 प्रतिशत के आसपास बैठता है. बैंक FD में इतने रिटर्न का तो किसी क्रिकेटर ने भी IPL ऑक्शन में नहीं देखा. बैंक FD की दुनिया में 6 से 7 प्रतिशत आम है, कभी खास मौके पर 7 से थोड़ा ऊपर. 40 प्लस प्रतिशत वाली FD कहानी नहीं, कविता लगती है.

HDFC FD की असल तस्वीर क्या है

HDFC बैंक की वेबसाइट पर जो रेट्स पब्लिश हैं, उनके मुताबिक रिटेल डिपॉजिट यानी 3 करोड़ से कम वाली FD पर सामान्य ग्राहकों के लिए मोटे तौर पर 2.75 से 6.60 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन्स के लिए लगभग 3.25 से 7.10 प्रतिशत तक की रेंज दिखती है, अलग अलग टेन्योर पर. बीच में स्पेशल टेन्योर, लिमिटेड टाइम ऑफर जैसी चीजें आती जाती रहती हैं, पर 40 प्लस प्रतिशत जैसी कोई दुनिया नहीं. इसलिए “2 लाख पर महीने के 7,818” वाली बात गणित में फेल है. बैंकिंग में भी और कॉमन सेंस में भी.

तो फिर ये 7,818 वाला मैसेज आया कहाँ से

हमारे देश में वित्तीय फॉरवर्ड्स का अपना IPL चलता है. कभी PPF से हर महीने पेंशन, कभी FD से दोगुना, कभी NPS से तुरंत करोड़पति. असल में लोग मासिक इंटरेस्ट पेआउट और मासिक इनकम स्कीम जैसे शब्द देखकर समझ बैठते हैं कि रिटर्न आसमान छू लेगा. बैंक FD में मासिक ब्याज लेना संभव है, पर दर वही रहती है जो वार्षिक घोषित होती है, बस पेआउट फ्रिक्वेंसी बदल जाती है. ब्याज 6.5 की जगह 46 नहीं बन जाता.

चलिए, असल कैलकुलेशन करके देखते हैं

मान लीजिए आपने Rupees 2,00,000 एक ऐसे टेन्योर में लगाए जहाँ वार्षिक ब्याज दर 7 प्रतिशत है और आपने मासिक पेआउट चुना. सालाना ब्याज लगभग Rupees 14,000. महीने का करीब Rupees 1,166 के आसपास. चलिए 7.1 या 7.35 मान भी लें तो मासिक ब्याज Rupees 1,200 से Rupees 1,230 के दायरे में. ये यथार्थ है. अब आप खुद तुलना कर लो Rupees 7,818 से. पाँच से सात गुना का फर्क. यही है फॉरवर्ड की फैंटेसी बनाम बैंकिंग की रियलिटी.

व्हाट्सएप यूनिवर्स बनाम बैंकिंग यूनिवर्स

व्हाट्सएप में जो भी चमकता है वह सोना नहीं होता. खासकर पैसा हो तो ज्यादा सावधानी. बैंक की वेबसाइट, इंटरनेट बैंकिंग, ब्रांच काउंटर, इन पर जेब से पैसा निकलने से पहले दो चीजें हमेशा देखो. एक, Effective Interest Rate खास टेन्योर के लिए. दो, पेवआउट ऑप्शन क्या है, मासिक, तिमाही या मैच्योरिटी पर. जिस तरह से आप IPL में पॉइंट्स टेबल देखते हो कि टीम कहाँ खड़ी है, वैसे ही FD में टेन्योर व रेट्स की टेबल देखना जरूरी है.

कौन सी FD टेन्योर में आमतौर पर बेहतर रेट मिलते हैं

बैंकों की रणनीति मौसम की तरह बदलती है. कभी 18 से 21 महीने, कभी 15 से 18 महीने वाली विंडो में थोड़ी बेहतर दर दिख जाती है. कभी 35 महीने, 55 महीने जैसे अनोखे टेन्योर भी आते हैं जिन्हें बैंक प्रमोट करते हैं. पर जो भी हो, 6 से 7.35 प्रतिशत के दायरे में ही सबकुछ घूमता दिखाई देता है, खासकर बड़े प्राइवेट बैंकों में. सीनियर सिटिजन्स को 0.50 प्रतिशत तक एक्स्ट्रा मिलना आम बात है. यही रेपॉ कट, लिक्विडिटी और बैंकों की फंडिंग कॉस्ट का खेल है.

टिपिकल गलती: मासिक पेआउट को ग्रोथ समझ लेना

बहुत से लोग मान लेते हैं कि मासिक ब्याज लेने से ब्याज दर बढ़ जाएगी. नहीं. दर वही रहती है. हाँ, अगर आप क्वार्टरली या एट मैच्योरिटी लेते हैं और ब्याज पर भी ब्याज चढ़ने देते हैं तो effective yield थोड़ा बेहतर दिख सकता है. मासिक पेआउट में कैश फ्लो मिल जाता है, पर कंपाउंडिंग का फायदा कम हो जाता है. यह उसी तरह है जैसे आप हर ओवर में सिंगल सिंगल लेते रहें, बाउंड्री कम लगेगी तो स्ट्राइक रेट भी कम लगेगा.

कितना यथार्थवादी है Rupees 7,818 महीना

चलो एक और एंगल. अगर कोई प्रोडक्ट Rupees 7,818 प्रतिमाह दे रहा है Rupees 2 लाख पर, तो या तो यह रिस्क वाला प्रोडक्ट होगा जैसे स्मॉल कैप हाई यील्ड बॉन्ड, अनरेगुलेटेड कलेक्टिव स्कीम, या फिर कैशबैक/टीज़र वाला झुनझुना. बैंक FD जैसी रेगुलेटेड, SLR बेस्ड बैक्ड डिपॉजिट में यह गणित बैठ ही नहीं सकता. इसलिए ऐसे दावों को आप वही ट्रीटमेंट दें जो कोई सस्पेंस थ्रिलर फिल्म के ट्रेलर को देते हैं, देखो, हंसो, पर टिकट तभी कटाओ जब पक्का हो.

आप क्या करें ताकि क्लिकबेट से बचें

  • हमेशा बैंक की आधिकारिक रेट लिस्ट देखें. अगर पेज पर Effective from तारीख जून 2025 जैसा दिखे तो समझिए यही लेटेस्ट है जब तक बैंक फिर से अपडेट न करे.
  • ब्रांच में फोन करके या चैट सपोर्ट पर टेन्योर व पेआउट कन्फर्म करवा लें. स्क्रीनशॉट रख लें, कल को मतभेद हो तो काम आएगा.
  • मासिक इनकम चाहिए तो FD monthly payout चुनें, पर रियलिस्टिक राशि एक्सपेक्ट करें. Rupees 2 लाख पर 7 प्रतिशत के आस पास, महीने का Rupees 1,100 से Rupees 1,250 टाइप.
  • सीनियर सिटिजन्स के लिए अलग दरें होती हैं. माता पिता के नाम से निवेश कर रहे तो senior citizen add-on पूछें.
  • टैक्स की कहानी न भूलें. सेक्शन 80TTB, फॉर्म 15H, TDS थ्रेशहोल्ड, इन सब से नेट इनकम बदलती है. इंटरेस्ट जितना दिखता है उतना हाथ में नहीं आता.

अगर सच में हर महीने ज्यादा इनकम चाहिए तो

FD से स्थिरता अच्छी मिलती है, पर मासिक इनकम बढ़ानी है तो कुछ मिलाजुला रास्ता अपनाएं.

  • Post Office Monthly Income Scheme जैसी योजनाएं देखें. पोस्ट ऑफिस प्रोडक्ट्स में रेट्स सरकार तय करती है, क्वार्टरली रिव्यू होते हैं. लिमिट्स होती हैं, पर स्थिरता अच्छी.
  • Senior Citizen Savings Scheme और PMVVY जैसी योजनाएं सीनियर के लिए बेहतर. FD से थोड़ा ज्यादा, पर टेन्योर और लिमिट्स का ध्यान.
  • Debt Mutual Funds में SWP सेट करें. यील्ड मार्केट लिंक्ड रहती है, NAV फ्लक्चुएट करती है, पर टैक्स एफिशिएंसी और लिक्विडिटी का लाभ. रीस्क समझ के करें.
  • Laddering Strategy अपनाएं. अलग अलग टेन्योर में छोटी छोटी FD. रेट्स बढ़ें तो जल्दी री-प्राइस हो पाएगा, घटें तो पुरानी हाई दर कुछ समय बचाएगी.

थोड़ा व्यंग, थोड़ा इमोशन: पैसा मेहनत का है, भरोसा कमाओ

बैंकिंग कोई मसाला फिल्म नहीं है जहाँ इंटरवल के बाद हीरो अचानक सुपरलॉटरी जीत ले. यहाँ धीमी रफ्तार से सही, पर भरोसेमंद कमाई होती है. घर के बड़े कहते हैं, “थाली में जितनी दाल है उतनी ही रोटी तोड़ो.” FD में जितना रेट है उतना ही रिटर्न आएगा. 47 प्रतिशत वाला सपना देखोगे तो सुबह उठते ही टूट जाएगा.

कब बदलती हैं दरें

रेपो रेट कट बढ़े, बैंकों की फंडिंग कॉस्ट घटे बढ़े, तो FD रेट्स भी एडजस्ट होती हैं. कभी लिमिटेड पीरियड स्पेशल टेन्योर आते हैं, जैसे 35 महीने या 55 महीने. मगर स्पेशल का मतलब भी 7 से 7.75 के आसपास. इसलिए जब भी कोई कहे कि नई स्कीम में महीने का Rupees 7,818 मिल रहा है, तो उनसे एक सवाल पूछिए, टेन्योर कितना, रेट कितना और बैंक की लिंक कहाँ. बस, वहीं कहानी खत्म.

घर बैठे जल्दी से अपना वास्तविक मासिक ब्याज निकालें

एक मिनट में अपनी उम्मीदें यथार्थ में बदलें.

  1. राशि डालें Rupees 2,00,000
  2. ब्याज दर चुनें मान लीजिए 7 प्रतिशत
  3. पेआउट फ्रिक्वेंसी मासिक

अब फॉर्मूला सीधा सादा. वार्षिक ब्याज = रकम × दर. मासिक = वार्षिक का बारहवां हिस्सा. यानी Rupees 14,000 सालाना, Rupees 1,166 महीना के आसपास. हो गया हिसाब किताब.

यूनिक राय: मैं क्या करता अगर मेरे पास Rupees 2 लाख पड़े हों

ईमानदारी से बताऊँ तो मैं FD Ladder बनाता. Rupees 50,000 के चार हिस्से, चार अलग टेन्योर. एक 12 से 15 महीने, एक 18 से 21, एक 24 से 36, और एक 55 महीने जैसा स्पेशल. इससे दो फायदे. एक, हर कुछ महीनों में कोई न कोई FD मैच्योर होगी, जरूरत पर काम आएगी. दो, रेट साइकिल ऊपर जाए तो री-इन्वेस्टमेंट का मौका मिलेगा. अगर घर में सीनियर हैं तो उन्हीं के नाम पर FD कर देता ताकि 0.50 प्रतिशत एक्स्ट्रा मिले. मासिक इनकम चाहिए तो एक दो FD का पेआउट ऑप्शन मासिक रखता, बाकी को कंपाउंडिंग पर छोड़ देता. और हाँ, टैक्स प्लानिंग के लिए 80C वाले इन्स्ट्रूमेंट्स अलग से देखता.

निष्कर्ष: हाइपर-क्लिक हेडलाइन से बचो, हेल्दी-रिटर्न हेडलाइन अपनाओ

टीजर जितना तगड़ा, उतना शक. HDFC की FD भरोसे का प्रोडक्ट है, पर उसमें 40 प्लस प्रतिशत का चमत्कार नहीं होगा. Rupees 2 लाख पर महीने का Rupees 1,100 से Rupees 1,250 यथार्थ है, Rupees 7,818 नहीं. इसलिए अगली बार कोई दोस्त ग्रुप में ऐसा मैसेज डाले तो यह पोस्ट उसी ग्रुप में भेज दो और लिखो, भैया, गणित पास करो, पैसे बचाओ. आपकी भी इज्जत बचेगी, और सबसे जरूरी, मेहनत का पैसा भी.

छोटा चेकलिस्ट, सेव कर लो

  • बैंक की वेबसाइट से लेटेस्ट टेन्योर व रेट देखो
  • मासिक पेआउट या मैच्योरिटी, अपनी जरूरत से चुनो
  • सीनियर सिटिजन एड-ऑन का लाभ लो अगर लागू है
  • TDS और नेट रिटर्न को वास्तविकता से जोड़ो
  • फॉरवर्ड को फैक्ट-चेक करो, वरना वॉलेट पर असर पक्का

और हाँ, यदि कल को बैंक कोई लिमिटेड पीरियड स्पेशल ऑफर लाए जिसमें रेट थोड़ा बेहतर दिखे, तो भी गणित वैसा ही रखना. महीना Rupees 7,818 केवल कथा में अच्छा लगता है, FD में नहीं.

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